क्या ग़लत है, क्या सही है दरअसल ये सवाल ही नहीं है। नज़र बदले तो अच्छा बदतर हो जाता है, बदतर कई बार बेहतर बन जाता है, दूध जब रूप बदले तो बनता दही है, दूध का रूप बदलना ग़लत है या दही का जमना सही है। क्या ग़लत है, क्या सही है दरअसल ये सवाल ही नहीं है।जगह बदले तो अक्सर बातें बदल जाती हैं लोग बदलते हैं, चाहतें बदल जाती हैं, कहीं दिन तो कहीं रातें बदल जाती हैं, क्या दिन का ढलना ग़लत है या रातों का आना सही है । क्या ग़लत है, क्या सही है दरअसल ये सवाल ही नहीं है।
2 comments:
अरे साहब। सवाल ही यही है और जवाब भी यही है। क्या कहने लाजवाब कोशिश।
http://udbhavna.blogspot.com/
अरे साहब। सवाल ही यही है और जवाब भी यही है। क्या कहने लाजवाब कोशिश।
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