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Wednesday, June 2, 2010

प्रोफेसनल कोर्स या सामान्य कोर्स


हाल ही में सभी बोर्ड के परिणाम घोषित हो चुके हैं। सर्वप्रथम सभी सफल अभ्यर्थियों को हार्दिक बधाई!

परिणाम घोषित होते ही हर अभ्यर्थी और उसके पिता कॉलेज में एडमिशन के भागदौड़ में शामिल हो चुके हैं।
संजय हाल ही में बारहवीं पास किया है। उसके पिता श्याम सुंदर चाहते हैं कि उसका पुत्र साइंस से ग्रेजुएशन करे, लेकिन संजय कंप्यूटर या मीडिया में अपना कॅरियर संवारना चाहता है। संजय का सोचना सही है। सामान्य कोर्स करने के बाद कोई प्रोफेशनल कोर्स करने में समय अधिाक लगता है। इसलिए बारहवीं के बाद ही प्रोफेशनल कोर्स करने पर समय की बचत हो सकती है।
वर्तमान समय में प्रोफेशनल कोर्स की डिमांड है। सामान्य स्नातक को नौकरी में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट का भी यही मानना है कि भारत में 90 प्रतिशत ग्रेजुएट नौकरी के लायक नहीं हैं। उदारीकरण के बाद भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पध्र्दा करने के लिए कुशल कामगारों की मांग बढ़ी। रोजगार तो बढ़ा लेकिन कुशल लोगों की कमी बनी रही। यही वजह है कि हॉस्पिटेलिटी, टूरिज्म, रिटेल, प्रबंधान, बीमा, टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में जितने कुशल लोगों की डिमांड है उतना मिल नहीं पा रहा है। इन सभी क्षेत्रों की वर्तमान जरूरतों के हिसाब से सामान्य शिक्षा ग्रहण करना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए आवश्यक है प्रोफेशनल कोर्स की। भविष्य में प्रोफेशनल्स की कमी की आशंका को देखकर ही सरकार ने शिक्षित युवाओं को कुशल पेशेवर बनाने का निर्णय लिया है जिसके तहत स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोले जाएंगे।
असमंजस का शिकार
लंबे समय से स्कूल के अहाते से बाहर निकलकर छात्र कॉलेज-विश्वविद्यालय जैसे बृहद संसार में प्रवेश करते हैं। बारहवीं के बाद ऐसे चौराहे पर खड़े होते हैं, जहां से एक खास रास्ते का चुनाव करना होता है। ऐसा रास्ता चुनना होता है जो उनकी मनपसंद कॅरियर के मुकाम तक पहुंचाता है। पहले की अपेक्षा अब विकल्पों की कमी नहीं है। अधिाक विकल्प होने की वजह से विद्यार्थी में असमंजस की भी स्थिति भी उतनी होती है। इसी समय विद्यार्थी को तय करना होता है- प्रोफेशनल कोर्स या फिर सामान्य कोर्स।
कमी नहीं विकल्प की
वर्तमान में परंपरागत विषयों के साथ-साथ सैकड़ों नये विकल्प सामने उपलब्धा हैं। इन विकल्पों में से कई ऐसे विकल्प हैं जो विगत कुछ वर्षों में अपनी उपस्थिति बहुत ही प्रभावशाली ढंग से दर्ज किया है। आइए, ऐसे ही क्षेत्रों के बारे में जानते हैं:
एनीमेशन: विगत वर्ष हनुमान और रोडसाइड रोमियो जैसे एनीमेशन फिल्मों के साथ भारतीय कंपनियां और स्टूडियो इस ओर कदम बढ़ाया है। भारत में कम कीमत पर फिल्म तैयार हो जाने के कारण भी कई विदेशी प्रोडक्शन कंपनियां यहां फिल्म बनाने के लिए समझौता किया है। इसी कड़ी में यशराज फिल्म्स ने वाल्ट डिजनी के साथ समझौता किया है। फिक्की की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2007 में यह उद्योग लगभग 0.31 बिलियन डॉलर का था जो वर्ष 2012 तक 24 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज कर 0.94 बिलियन डॉलर का हो जायेगा।
मीडिया-एंटरटेनमेंट: मंदी के कारण मीडिया एवं एंटरटेनमेंट उद्योग पर असर पड़ा, लेकिन छात्रों का इस क्षेत्र कोर्स के प्रति रूझान कम नहीं हुआ है। फिक्की के एक रिपोर्ट के अनुसार यह उद्योग वर्ष 2011 तक एक लाख करोड़ रुपये तक का हो जायेगा। इस क्षेत्र में फिल्म प्रोडक्शन से लेकर टीवी चैनलों में काफी अवसर उपलब्ध हैं।
टेलीकॉम: सरकार कई नयी टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस प्रदान कर रही है और भारत में एक नयी पीढ़ी (थ्री जी) की मोबाइल सेवा लांच किया गया है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में नये तकनीक का विस्तार होगा जिसके लिए लगभग डेढ़ लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2010 तक भारत में 500 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता हो जायेंगे। इस क्षेत्र में टेलीकॉम सॉफ्टवेयर इंजीनियर, टेलीकॉम सिस्टम सॉल्यूशन इंजीनियर, कस्टमर सर्विस एक्जीक्यूटिव और टावर कनेक्शन जैसे में बेहतर संभावनाएं हैं।
लॉ: विगत कुछ वर्षों से परंपरागत कॅरियर के अलावा इस क्षेत्र में एक नया कॅरियर उभर कर सामने आया है लॉ प्रोसेसिंग आउटसोर्सिंग (एलपीओ)। एलपीओ काफी तेजी से विकास कर रहा है। नैस्कॉम मार्केट इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार भारत में एलपीओ कारोबार 2010 तक छह अरब डॉलर को पार कर जायेगा। इसके अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनियों में लीगल एडवाइजर और कंसल्टेंट जैसे पद के लिए काफी डिमांड बढ़ा है।
बीमा: बीमा क्षेत्र हमेशा से ही आसानी से उपलब्धा हो जाने वाला कॅरियर रहा है। इस क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिये जाने के बाद इसमें काफी रोजगार सृजन हुए। इतने के बावजूद भारत की लगभग मात्र 22 प्रतिशत लोग ही बीमा करवा पाये हैं, जबकि अमेरिका और यूरोपीय देशों में लगभग शत-प्रतिशत लोग अपना बीमा करवाए होते हैं। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने निजी कंपनियों से मिल रही चुनौतियों का सामना करने के लिए वर्ष 2011 तक 11 लाख एजेंट भर्ती करने की योजना है। इसके अलावा रिलायंस लाइफ 90 हजार, मेटलाइफ इंडिया 32 हजार और टाटा एआईजी लगभग 27 हजार लोगों को भर्ती करने की योजना है।
बैंकिंग: वैश्विक मंदी के बावजूद भी भारतीय बैंक इन दिनों काफी विकास कर रहा है। साथ ही अपने विस्तार के लिए नयी भर्तियां भी कर रहे हैं। हाल ही में देश की सबसे बड़ी बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने 25 हजार लोगों को भर्ती करने की घोषणा की है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अमूमन हर हफ्ते नये भर्ती की घोषणा होती रहती हैं। निजी क्षेत्र के भी कई बैंकों में नयी भर्तियां हो रहे हैं। आने वाले दो वर्षों में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी बैंक आईसीआईसीआई बैंक एक लाख लोगों को रोजगार प्रदान करेगी।
मैनेजमेंट: मंदी के बावजूद कैंपस प्लेसमेंट कम नहीं हुआ है। मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए छात्रों का रूझान भी कम नहीं हुआ है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कैट परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों में निरंतर बढ़ोतरी हुई है। बी-स्कूलों में दाखिला के लिए देश में कई एंट्रेंस टेस्ट आयोजित किये जाते हैं। इनमें से किसी परीक्षा में शामिल होकर बेहतर अंक प्रतिशत के साथ पसंदीदा बी-स्कूल में दाखिला लिया जा सकता है।
हेल्थ सेक्टर: प्राइसवाटरहाउसकुपर्स के अनुसार, हेल्थ सेक्टर 2012 तक 40 बिलियन डॉलर का हो जायेगा। इस क्षेत्र में आगामी कुछ वर्षों में लगभग 60 अरब डॉलर निवेश की संभावना है। जापान की कंपनी दाइची सैंक्यो ने भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी रैनबैक्सी का अधिाग्रहण किया है। इसके अलावा कई विदेशी कंपनियां अपनी इकाई भारत में खोल रहा है। साथ ही भारत में मैनपावर की कम कीमत होने की वजह से अपने शोधा कार्य भी भारत में करवा रहे हैं। इसके लिए काफी प्रोफेशनल्स की मांग होगी।
टूरिज्म: नवंबर माह में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में विदेशी सैलानियों के आने में कमी दर्ज की गयी थी लेकिन विगत कुछ माह में सुधारे हालात के बाद सैलानियों के आने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म के मुताबिक भारत ने वर्ष 2008 में टूरिज्म से लगभग 100 बिलियन डॉलर की कमाई अर्जित की है जो वर्ष 2018 तक 9.4 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़कर 275.5 बिलियन डॉलर का हो जायेगा। हाल के वर्षों में भारत ने मेडिकल टूरिज्म से भी काफी घन किया है।

क्या करें, क्या न करें

कोर्स चुनने से पहले अपनी रुचि, क्षमता व कॅरियर विकल्प पर विचार अवश्य करें।
दूसरों की देखा-देखी में कोर्स का चयन न करें। पारंपरिक कोर्स के बजाय नये विकल्पों पर भी विचार करें।
अनिर्णय की स्थिति में काउंसलर की सलाह लें।
लक्ष्यहीन या दिशाहीन पढ़ाई न करें।
जिस संस्थान से कोर्स करना चाहते हैं, उसकी मान्यता के बारे में पता जरूर कर लें।
कोर्स चुनते समय कॅरियर से संबंधिात विकल्प संभावनाओं का भी धयान रखना चाहिए।

6 comments:

अनुनाद सिंह said...

सामयिक सलाह ! हो सके तो इसे विस्तार देने के लिये एक और प्रविष्टि लिखिये।

अनुनाद सिंह said...

सामयिक सलाह ! हो सके तो इसे विस्तार देने के लिये एक और प्रविष्टि लिखिये।

Alpana Verma said...

अच्छी और उपयोगी जानकारी दी है आप ने.
वर्तमान में छात्रों के लिए विकल्प बहुत हैं सोच समझ कर अपनी रूचि को भी ध्यान में रख कर योजना बनानी चाहिये.
रोज़गार के लिए व्यवसायिक कोर्स हमेशा सामान्य से बेहतर हैं.

संजय भास्‍कर said...

bahut hi achi jaankar di hai aapne

dhanyawaad

आचार्य उदय said...

क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।

आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !

Shekhar Kumawat said...

aap ka mudda sahi he

aap ke dwara sujaye gaye sare shetra kafi achhe he

koi shetr kisi se kam nahi hota magar jarat he mahnat ki