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Saturday, April 26, 2008

ख्वाहिश

अंजुले श्याम मौर्य 'एडिट वर्क्स स्कूल ऑफ मास कम्यूनिकेशन' में बी.एस.सी. इलेक्ट्रानिक मीडिया के द्वीतीय वर्ष के छात्र हैं। ये अपनी एक प्यारी सी अभिव्यक्ति के साथ 'मुद्दा' पर हाज़िर हैं।

अंजुले श्याम मौर्य

काश, यह ज़िन्दगी
खुशनुमा इक पथ होता
साथ में इक खूबसूरत हमसफर होता
बातों-बातों में यूं रास्ता नप जाता
पमारे होंठो पे जो कोई मोहब्बत भरा तराना होता
इस तरह हमारा सफर 'आशिकाना' होता।

काश हमारे बीच
कोई समझौता होता
प्रेमभरा कोई घरौंदा होता
तो मिल बैठ कर दो-चार, मीठी-तीखी बातें होंती
जहाँ रूठने-मनाने का इक 'िसलसिला' होता
फिर धीरे-धीरे मशहूर हमारा 'फसाना' होता

काश मेरा देखा
हर सपना सच होता
मैं ख्वाहिशों के द्वीप में सो रहा होता
हर शाम जहाँ सपनों की बारिश और आरजू के ओले गिरते,
यहाँ न कोई ख्वाहिश और न सपना अधूरा होता
काश ऐसा ही दिलचस्प अपना 'आशियाना' होता।

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