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Sunday, March 30, 2008

गुरुजी, आपके शिष्य जोड़-घटाना नहीं जानते




संजीव मिश्र]

यह खबर शिक्षकों के लिए एक आइना है। बच्चों के विद्या-बुद्धि के विकास में गुरुजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बच्चे के प्रतिभा विकास का श्रेय उनको जाता है, तो उनके अल्प विकास की जिम्मेदारी से भी वे नहीं बच सकते। अगर पांचवीं कक्षा के बच्चे जोड़-घटाना नहीं जानते, हिंदी नहीं पढ़ पाते; तो यह पूरी शिक्षण प्रक्रिया और उससे जुड़ी सरकारी कवायद पर एक सवाल है। उत्तर प्रदेश में एक हद तक ऐसी हालत दिख रही है। प्रदेश में अगर सर्व शिक्षा अभियान अपेक्षा पर खरा नहीं उतर रहा है, तो जिम्मा मास्टर साहब का भी है। यहां हर वर्ष इस अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, इसके बावजूद वह प्रभावी नहीं हो सका है। अभियान के मूल्यांकन के लिए योजना आयोग की पहल पर संस्था 'प्रथम' द्वारा देश भर में किए गए सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। 'ऐनुअल स्टेटस आफ एजूकेशन रिपोर्ट' [असर-2007] के मुताबिक प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश खासा पिछड़ा है। रिपोर्ट योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया को सौंप दी गई है।

अध्ययन के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर जहां कक्षा तीन के 49 फीसदी बच्चे शुरुआती स्तर की हिंदी पढ़ लेते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में यह संख्या महज 40 फीसदी है। इसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा पांच के 59 फीसदी बच्चे कक्षा दो की हिंदी पढ़ सकते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसी कक्षा के सिर्फ 48 फीसदी बच्चे कक्षा दो के स्तर की हिंदी पढ़ सकते हैं। जोड़-घटाने के मामले में भी उत्तर प्रदेश फिसड्डी है। राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा तीन से पांच के 42 फीसदी बच्चे जोड़-घटाना एवं गुणा-भाग जानते हैं, पर उप्र में कक्षा तीन से पांच के महज 34 फीसदी बच्चे प्रारंभिक गणित समझते हैं। कक्षा पांच के महज 42.8 फीसदी बच्चे जोड़-घटाना ठीक से कर पाते हैं। मतलब यह कि आधे से अधिक [57.2 प्रतिशत] बच्चे तो बिना जोड़-घटाना सीखे ही कक्षा पांच तक पहुंच जाते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में भी छात्र-छात्राएं पर्याप्त संख्या में नहीं पहुंच पा रहे हैं।

जिलावार छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के स्तर व उनके स्कूल पहुंचने में अंतर है। तमाम कोशिश के बावजूद बदायूं के 12.5 फीसदी व बाराबंकी के 10.3 फीसदी बच्चे स्कूलों से दूर हैं। सबसे बुरा हाल कानपुर देहात का है, जहां कक्षा तीन से पांच में पढ़ने वाले 72.3 फीसदी बच्चे हिंदी तक नहीं पढ़ पाते। रामपुर दूसरे व चित्रकूट तीसरे स्थान पर है, जहां तीसरी से पांचवीं कक्षा के क्रमश: 71.1 व 69.9 फीसदी बच्चे हिंदी नहीं पढ़ पाते। श्रावस्ती 80.3 फीसदी बच्चों के हिंदी पढ़ने की क्षमता के साथ अव्वल है। हिंदी पढ़ने के मामले में 78.8 फीसदी बच्चों के साथ मेरठ व 75.2 फीसदी बच्चों के साथ ज्योतिबाफुले नगर तीसरे स्थान पर है। कानपुर देहात के बच्चे गणित में भी फिसड्डी हैं। वहां कक्षा तीन से पांच के 77.4 फीसदी बच्चे सामान्य जोड़-घटाने के सवाल भी नहीं हल कर पाते। इस दृष्टि से 77.1 प्रतिशत बच्चों के साथ चित्रकूट दूसरे व 75.3 प्रतिशत बच्चों के साथ प्रतापगढ़ तीसरे स्थान पर है। गणित में श्रावस्ती अव्वल रहा, जहां 75.1 फीसदी बच्चे जोड़-घटाना ही नहीं, गुणा-भाग भी कर लेते हैं। गणित में 65.9 फीसदी बच्चों के साथ औरैया दूसरे व 65.3 फीसदी बच्चों के साथ ज्योतिबाफुले नगर तीसरे स्थान पर है।
(साभार याहू)

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