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Monday, February 18, 2008

नोएडा का महाघोटाला - भाग-2

द ग्रेट इंडिया प्लेस के नाम से मशहूर यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा मॉल बताया जाता है जिसके दो फ्लोर पर दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों के शोरुम हैं। तीसरे फ्लोर पर निर्माण कार्य चल रहा है जो लगभग पूरा हो चुका है। द ग्रेट इंडिया प्लेस को पूरी मस्ती के साथ देखने के लिए एक दिन कम पड़ता है। इस मॉल में प्रवेश के साथ ही इसके तामझाम यह बताने के लिए काफी हैं कि इसमें युवाओं के लिए विशेष इंतजाम हैं। जगह जगह बैठे प्रेमी युगलों की जोड़ी का नजारा अपने आप एक सबूत है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं और फोटो खीचने की मनाही है। जनसुबिधा की चमक किसी भी पांचसितारा होटल से बेहतर है। द ग्रेट इंडिया प्लेसको देखकर आप भी कहेंगे खेल बड़ा है।
ग्रेट इंडिया प्लेस को यूनिटेक अंतरराष्ट्रीय स्तर का मनोरंजन पार्क बताती है। एक ऐसी जगह जिससे भारत अब तर परिचित नहीं था। यह मनोरंजन सिटी का एक हिस्सा है जहां दुनिया के बेहतरीन रिटेल और इंटरटेनमेंट कांपलेक्स होंगें। 1,500,000 वर्गफीट में बना यह भारत का सबसे बड़ा रिटेल सेंटर है।
नियमानुसार मॉल बनाने के लिए प्राघिकरण अलग भूखंडों का चयन करके महंगी दरों पर आवंटन करता है। बानगी के तौर पर सेक्टर - 18 में इसी दौरान व्यावसायिक भूखंडों की नीलामी 5 लाख से 6 लाख (5 हजार प्रतिवर्ग मीटर) की दरों से गई थी, जबकि इन भूखंडों का एफ.ए.आर. मॉल को दिए गए एफ.ए.आर. से काफी कम होता है। मनोरंजन पार्क के नाम पर बनाए गए उत्तर भारत के इस विशाल मॉल की भूमि की कीमत का अनुमान लगाएं तो देश के एक बड़े घोटाले का पर्द ाफाश होता है। 21 एकड़ यानी लगभग 85 हजार वर्ग मीटर भूमि पर बने मॉल की भूमि की कीमत 5 लाख प्रतिवर्ग मीटर की दर से 4250 करोड़ बनती है। इसके अलावा शेष बची 120 एकड़ भूमि का आकलन करके घोटाले के व्यापक आकार का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ऐसे में, आश्चर्यजनक यह है कि भूखंड आवंटित करने व नक्शा स्वीकृत करने वाले अधिकारियों की कुंभकरणी नींद क्यों नहीं खुली कि मात्र 108 करोड़ में 140 एकड़ भूमि कैसे दे दी गई। ऐसा नहीं है कि इस महाघोटाले को भाजपा व बसपा नीत सरकारों का ही संरक्षण प्राप्त था, बल्कि 25 अगस्त 2003 को मायावती सरकार के पतन के पश्चात सत्ता में आई मुलायम सिंह सरकार का आशीरवाद और संरक्षण भी इस कंपनी को मिलता रहा। पुरानी कहावत है कि चांदी की जूती भी अच्छी लगती है। मुलायम सिंह सरकार के दौरान भी समाजवादी पार्टी के एक विधायक ने यह मामला उठाने का प्रयास किया तो सपा हाईकमान ने उसे चुप रहने का निर्देश दिया, क्योंकि इस घोटाले के सूत्रधार और कंपनी के मालिकों के मधुर संबंध सरकार के दो बड़े नेताओं से हो चुके थे जो नोएडा के भाग्य का फैसला किया करते थे। सरकार में आते ही समाजवादी पार्टी के नेता इस घोटाले की जांच करवाने की घोषणा कर रहे थे, परंतु कंपनी के मालिकों से मुलाकात के बाद उनके सुर बदल गए। महाघोटाले का सिलसिला यहीं पर समाप्त नहीं होता, बल्कि इस कंपनी की हिस्सेदार कंपनी यूनिटेक को नोएडा में सैकड़ों एकड़ जमीन आवासीय व व्यावसायिक गतिविधियों के लिए आवंटित की गई। इसके अलावा प्रदेश में दो महत्वपूर्ण स्थानों पर उन्हें हाईटेक सिटी विकसित करने के लिए भी हजारों एकड़ भूमि आवंटित की गई।

(साभार प्रथम प्रवक्ता) 


2 comments:

Unknown said...

jaisa ki maine pahle bhi kaha ki is gothale ki sabse important baat rahi ki teen sarkaarein badalne ke baad bhi ye gothala nahi khula. pahle bjp, aur bsp aur uske baad samajwadi party. yaani hamam me sab ke sab nange.ek hi thaili ke chatte batte.yadi kisi ne maamla kholna bhi chaha to use dawa diya gaya. aur to aur prashasan bhi apni purjor taakat ke saath jameen hathiyane mai laga tha.

Anonymous said...

कौन सुनेगा तुम्हारी साधो, ये अन्धों और लुटेरों का गांव है, यहां लूटेरे लुटाई करते रहते हैं और अन्धे ढफली बजाते रहते हैं. किसी को हा हा ही ही से फुरसत नहीं साधो.

पईसा फैंको, तमासा देखो