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Thursday, February 21, 2008

बलात्कार के प्रकार



पंकज रामेन्दु मानव

मैं एक औरत हूं
मेरा रोज़ बलात्कार किया जाता है
बलात्कार सिर्फ वो नहीं है
जो अंग विच्छेदन पर हो

बलात्कार सिर्फ वो भी नही है
जब कपड़ों को तार तार करके कई लोग जानवरों के समान
मेरा मांस नोचते हैं
वो तो अपराध भी होता है
यह बात जानते हुए, अब मेरा बलात्कार
दूसरी तरह से किया जाता है
यह बलात्कार हर दिन होता है
भीड़ में होता है, समाज के सामने होता है
कई बार समाज खुद इसमें शरीक भी हो जाता है
इसमें मेरे कपड़े तार -तार नहीं होते
कई निगाहें रो़ज़ मुझे इस तरह घूरती हैं कि
वो कपड़ो को भेदती चली जाती हैं, और मैं सबके सामने
खुद को नंगा खड़ा पाती हूं
कई बार बातों से भी मेरी अस्मिता लूटी जाती है और
धृतराष्ट्र समाज के सामने द्रोपदी बनी मेरी आत्मा
मदद की गुहार लगाती रहती है,
अपने हाथों से अपने बदन को ढांकती
मेरी आत्मा ज़ुबान से आवाज़ नहीं निकाल पाती है
ऐसे ही न जाने कितने तरीकों से लुटती मैं रोज़ाना
इन्ही अपराधियों का सामना करती हूं
समाज के शरीफ की श्रेणी में रखे जाने वाले यह लोग
बात बात पर मेरे बदन के स्पर्श का लुत्फ लेते यह लोग
कभी अपराधी नहीं माने जाएगें
क्योंकि यह आपराधिक बलात्कार नहीं

1 comment:

Anonymous said...

how true the poem is. man is a dirty animal after all. You cannot trust anyone in this world.
KAYKAY