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Saturday, February 16, 2008

नोएडा का महाघोटाला भाग-1



नोएडा का यह एक एेसा जमीन घोटाला है जिसकी राजनाथ सिंह की सरकार में शुरुआत हुई और बाद की राज्य सरकारों में उसे पूरी तरह से अंजाम दिया गया। जो सिलसिला उस समय शुरु हुआ वह मायावती से होते हुए मुलायम सिंह के कार्यकाल में भी बदस्तूर जारी रहा। यह एक बेशकीमती जमीन को कौड़ियों के दाम लुटाने का मामला है। इसकी ढंग से अगर जांच की जाए तो पांच हजार करोड़ रुपए का घोटाला सामने आएगा। जमीन दी गई मनोरंजन पार्क के लिए और बन गया उस पर बड़ा सा मॉल। नियमों की अनदेखी और नेताओं - अफसरों और कारोबारियों की साठ-गांठ का ही है यह कमाल।
नोएडा सेक्टर-18 के ठीक सामने सेक्टर-38 ए में करीब 140 एकड़ जमीन मनोरंजन पार्क के लिए आरक्षित की गई थी। वर्ष 2001 में समाचार पत्रों के जरिए इस जमीन पर मनोरंजन पार्क विकसित करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई थीं। 17 जुलाई 2001 को नोएडा के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी देवदत्त, महाप्रबंधक (वित्त) एस.के.सिंह, महाप्रबंधक संस्थागत विजय अग्रवाल, वास्तुविद ए.के.इंगले की उपस्थिति में इन निविदाओं को खोला गया। कुल छह निविदाओं में दिल्ली में अप्पू घर का संचालन करने वाली मै. इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. की 108 करोड़ की निविदा पर चिंतन मनन करते रहे और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की शैली में इच्छुक पार्टियों से मोलभाव करते रहे। जिस समय इस बेशकीमती भूमि के आवंटन की प्रक्रिया चल रही थी, उस समय प्रदेश के औघोगिक विकास आयुक्त के पद पर बहुचर्चित अफसर अखंड प्रताप सिंह काबिज थे। आप को याद ही होगा कि उनका भ्रष्टाचार जैसे
विवादों से बड़ा गहरा रिश्ता रहा है। वे बाद में प्रदेश के सर्वधिक विवादित मुख्य सचिव भी रहे और भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हे सीबीआई ने पकड़ा।
जिस समय इस घोटाले की नींव पड़ी तब उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे। उनकी सरकार ने उस जमीन को मनोरंजन पार्क बनाने के लिए मै. इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. को कुछ शर्तों सहित आवंटित कर दिया गया। इस कंपनी को यह सुविधा दी गई कि उस जमीन के 15 प्रतिशत हिस्से पर वह प्रोजेक्ट के समर्थन के लिए व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर सकती है। इसमे एक शर्त यह थी कि निर्धारित 21 एकड़ जमीन का 30 प्रतिशत हिस्सा ही प्रोजेक्ट के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। जिसका एफ.ए.आर 1.5 होगा। नोएडा के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव नायर ने अन्य शर्त सहित यह पत्र जारी कर दिया था। उन दिनों उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव चल रहे थे और 14 फरवरी, 2002 को प्रथम चरण का मतदान होना था। परंतु आदर्श चुनाव आचार संहिता का पालन न कर अधिकारियों ने इस भूमि का आवंटन कर दिया। यह भी उल्लेखनीय है कि जिस मै. इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. के नाम यह भूमि आवंटित की गई उसका पता बी.ए.-324 टैगोर गार्डन, नई दिल्ली-27 है। यह पता भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन प्रदेश महासचिव व विधायक ओमप्रकाश बब्बर का है और उनके पुत्र राकेश बब्बर इस कंपनी के निदेशक हैं। क्या इस आवंटन में उन्हे इसलिए प्राथमिकता दी गई कि वे भाजपा के हैं? उन्हें आनन फानन में आवंटन पत्र जारी कर दिया गया। सतही तौर पर भले ही इसमें पार्टी के तार जुड़े हुए दिखते हैं पर किस्सा उससे कहीं आगे का है।
याद करिए कि उस चुनाव में राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की शर्मनाक हार हो गई। इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि 3 मई, 2002 को उत्तर प्रदेश में तीसरी बार जब मायावती मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुईं तो इस मनोरंजन पार्क का रथ रुका नहीं। उसकी गतिविधियों में तेजी आई। सबसे बड़ा रहस्य तो यह है कि मायावती सरकार के कार्यकाल में जिस 4 फरवरी, 2003को नोएडा प्राधिकरण ने मै. इंटरनेशनल रिक्रिएशन पार्क प्रा. लि. से समझौता किया उसे इसका अधिकार ही नहीं था क्योंकि जमीन इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. को आवंटित की गई थी। सवाल यह है कि एक नई कंपनी से लीज का समझौता कैसे हो गया? यह निविदा की शर्त का खुला उल्लंघन था। क्या नोएडा प्राधिकरण ने तब यह काम किसी उपकार भाव से किया? सवाल यह भी है कि जिसे लीज पर वह जमीन गैरकानूनी तरीके से दी गई उसे मनोरंजन पार्क चलाने का क्या अनुभव था?
नियमानुसार वहां बनना था-मनोरंजन पार्क। नोएडा में सेक्टर - 18 का अपना रुतबा है। उसके ठीक सामने के अवैध कारोबार पर नजर क्यों नहीं गई। ऐसा हो नहीं सकता कि इसे किसी अधिकारी ने न देखा हो या उसे न बताया गया हो। साफ है कि अफसरों की मिलीभगत से मॉल का नक्शा पास कराया गया। जिस अंधेरगर्दी से यह हुआ उसी तरह वहां एफ.ए.आर. के नियमों का मजाक उड़ाते हुए मॉल का निर्माण प्रारंभ हुआ।
इस प्रोजेक्ट को यूनिटेक नामक कंपनी के साथ मिलकर बनाया गया है। यूनिटेक और इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. की साझेदारी के कई मिसाल हैं। ग्रेट इंडिया प्लेस एक नमूना भर है। दिल्ली के रोहिणी इलाके में जापानी पार्क के साथ ही एडवेंचर आइलैंड और मेट्रो वॉक प्रोजेक्ट विकसित किया गया। इस प्रोजेक्ट की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है।
एडवेंचर आइलैंड मनोरंजन पार्क का हिस्सा है और मेट्रोवॉक रिटेल सेंटर है। जी हां, कुछ उसी तरह ग्रेट इंडिया प्लेस को अंतरराष्ट्रीय स्तर का मनोरंजन पार्क बताकर एक अलग तरह का खेल खेला गया। रोहिणी के दोनों प्रोजेक्ट यूनिटेक और इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. की 50 : 50 प्रतिशत साझेदारी के तहत तैयार की गई है।
(साभार प्रथम प्रवक्ता)

शेष आगे...........................

2 comments:

Anonymous said...

हमारा आपका देश ऐसा ही है दोस्‍त। यहां घोटाले से निकले हुए लाल देश के माथे का तिलक होते हैं। ईमानदार लोग उपहास के पात्र होते हैं। इसलिए देखिए, आपने प्रथम प्रवक्‍ता की बात अंतर्जाल पर जाहिर की, लेकिन कोई आपकी बात सुनने वाला नहीं है। दो दिन बाद मैं यहां पहला टिप्‍पणीकार हूं।

Unknown said...

haalanki ye koi pahla case nahi hoga, na jaane asi kitni hi jameenen hongi, jo lee kisi aur kaam ke liye jaatin hain,lekin kara kuch aur jaata hai, lekin sawal uthta hai ki teen sarkaarein badalne ke baad bhi ye gothala nahi khula. teen chief minister change hue, lekin sabki aankein band rahin, ab aakhir karte bhi kya, kursi se jo fursat mile. ab jab ye gothala khula bhi to bhi media ke hi jariye, lekin sunne walla abhi koi dikhai nahi deta.